स्कूल में आयोजित छह दिवसीय स्काउट एवं गाइड शिविर का दूसरा एवं तीसरा दिन
सिद्धबली न्यूज डेस्क
कोटद्वार। ब्लूमिंग वेल पब्लिक स्कूल में आयोजित छह दिवसीय स्काउट एवं गाइड शिविर के द्वितीय एवं तृतीय दिवस पर स्काउट गाइड ने सीढीनुमा पुलों का निर्माण करना सीखा। गाड़ीघाट स्थित विद्यालय परिसर में आयोजित शिविर में प्रशिक्षणार्थियों द्वारा दीप प्रज्वलित कर सरस्वती वंदना से किया गया । स्काउट एवं गाइड के ध्वजारोहण के बाद प्रशिक्षणार्थियों द्वारा ध्वज गीत एवं स्काउट गाइड प्रार्थना का गायन किया गया।
प्रार्थना के बाद प्रशिक्षक द्वारा प्रशिक्षणार्थियों को नदी पार करने के लिए बल्लियों द्वारा ‘ट्रांसपोर्टर’ बनाना सिखाया गया। तत्पश्चात प्रशिक्षक ने सभी प्रशिक्षणार्थियों को चार दलों में विभाजित किया तथा दो घंटों में ट्रांसपोर्टर तैयार करने का काम दिया। सभी छात्रों एवं छात्राओं ने उत्साह पूर्वक इस कार्य में भाग लिया। इस कार्य मेँ छात्राओं के दलों ने प्रथम एवं द्वितीय स्थान प्राप्त किया।
शिविर के द्वितीय दिवस के अगले पड़ाव में प्रशिक्षणार्थियों ने बल्लियों, रस्सियों एवं खूटो द्वारा सीढीनुमा पुलों का निर्माण किया जो गड्ढों, नदियों, सुरंग आदि को पार करने के काम आते हैं l
शिविर के तीसरे दिन का शुभारंभ विद्यालय निर्देशिका डॉक्टर श्रीमती कुमुद चतुर्वेदी ने ध्वजारोहण कर के किया। प्रार्थना के बाद स्काउट- गाइड प्रशिक्षक द्वारा खुले प्रांगण में भोजन बनाने की प्रक्रिया समझाई गई। आज सीढीनुमा पुलों का निर्माण को अपने दोपहर के भोजन के लिए पूरी, आलू का साग, पकौड़ी , चाय, हलवा और पुलाव स्वयं बनाना था I इस प्रक्रिया के अंतर्गत छात्राओं को सात दलों में एवं छात्रों को आठ दलों में विभाजित किया गया। छात्राओं के पहले एवं दूसरे दलों को पूरी, तीसरे एवं चौथे दलों को आलू का साग, एवं पांचवे, छठें एवं सातवें दलों को पकौड़ी बनाने का कार्य दिया गया l छात्रों के पहले एवं दूसरे दलों को चाय, तीसरे, चौथे एवं पाँचवे दलों को हलवा, छठें, सातवें एवं आठवें दलों को पुलाव बनाने का कार्य दिया गया । सभी ने उत्साहपूर्वक व्यंजनों को पकाने में रुचि दिखाई l
विद्यालय प्रबंधक डॉक्टर सुभाष चतुर्वेदी एवं डॉक्टर कुमुद चतुर्वेदी जी ने सभी दलों के व्यंजनों का गहन निरीक्षण करते हुए बनाए गए व्यंजनों के बारे में जानकारी प्राप्त कर एवं व्यंजनों को चख कर उनकी भूरी-भूरी प्रशंसा की।
व्यंजनों को बनाने के साथ-साथ प्रशिक्षणार्थियों ने दो बल्लियों को एक दूसरे से कुछ दूरी पर गाड़ कर, उनके मध्य एक रस्सी ऊपर एवं एक रस्सी नीचे बाँध कर, एक रस्सी वाले पुल का निर्माण किया। प्रशिक्षणार्थियों ने एक-एक करके ऊपर वाली रस्सी को हाथ से पकड़ कर तथा नीचे वाली रस्सी पर चलकर रस्सी के एक सिरे से दूसरे सिरे तक चलने का अभ्यास किया।