स्थापना दिवस पर गढ़वाली लोक गीत, संगीत और कविताओं की रही धूम
सिद्धबली न्यूज डेस्क
दिल्ली। बड़थ्वाल कुटुंब संस्था के स्थापना दिवस समारोह में रंगारंग गढवाली लोक गीत संगीत और कविताओं की धूम रही। इस अवसर पर संस्था की ओर से उत्तराखंडी लोक साहित्य, संस्कृति के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए और मेधावी छात्रों को सम्मानित किया गया।
रविवार को पंचकुइयां रोड, नई दिल्ली स्थित गढ़वाल भवन में आयोजित स्थापना दिवस समारोह का पूर्व राज्यसभा सांसद तरुण विजय, उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत और पद्मश्री डॉ. माधुरी बड़थ्वाल, अध्यक्ष राज कुमार बड़थ्वाल, महासचिव प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल, उपाध्यक्ष हरीश बड़थ्वाल ने दीप प्रज्जवलित कर शुभारंभ किया। महासचिव प्रतिबिम्ब बड़थ्वाल ने बड़थ्वाल कुटुंब की स्थापना, सोच और विगत तीन वर्षों के कार्यकलापों और भावी योजनाओं का उल्लेख गढ़वाली भाषा में किया।
पूर्व मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने सामुदायिक सद्भाव और बंधुत्व पुख्ता करने की दिशा में बड़थ्वाल कुटुंब की पहल की सराहना करते हुए विशेषताओं का उल्लेख कर समाज को इससे प्रेरणा लेने की बात की। पूर्व सांसद तरुण विजय ने कुटुंब की एकजुटता और विरासती मूल्यों को सवंर्धित करने की मुक्तकंठ से सराहना की।
इस अवसर पर कुटुंब सम्मान श्रेणी में मोहित बड़थ्वाल, मीनाक्षी बड़थ्वाल आचार्य, पम्मी बड़थ्वाल, दिनेश बड़थ्वाल और रश्मि बड़थ्वाल और राजेन्द्र एम बड़थ्वाल को विभिन्न क्षेत्रों में उल्लेखनीय योगदान के लिए सम्मानित किया। उत्तराखंड सम्मान श्रेणी में साहित्य के लिए भीष्म कुकरेती डॉ. दयाल सिंह पंवार को सम्मानित किया गया। अंकिता ध्यानी (खेल) और जगदीश बाबला (पर्यावरण प्रेमी) के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए उत्तराखंड विभूति सम्मान से सम्मानित किया गया। आचार्य कृष्णानंद नौटियाल को उत्तराखंड लोक संस्कृति सम्मान प्रदान किया गया। मेधावी छात्र प्रोत्साहन कार्यक्रम में 12वीं बोर्ड के दीपांशु बड़थ्वाल, आर्यन बड़थ्वाल, आयुष महेश बड़थ्वाल, स्वाति बड़थ्वाल, संध्या बड़थ्वाल तथा 10वीं बोर्ड आदित्य बड़थ्वाल, देव बड़थ्वाल और निश्चय बड़थ्वाल को पुरस्कृत किया गया।
कार्यक्रम में बच्चों ने मनमोहक प्रस्तुति दी। गढ़वाली काव्य पाठ में गढ़वाली भाषा के वरिष्ठ कविजन व साहित्यकार रमेश चंद्र घिल्डियाल, जयपाल सिंह रावत, जबर सिंह कैन्थुरा, जगमोहन सिंह जगमोरा, अंजली भण्डारी व श्री दिनेश ध्यानी ने अपनी कविताओं के माध्यम से श्रोताओं को मन मोह लिया। संचालन पंकज बड़थ्वाल व योगिता बड़थ्वाल ने किया।