कलियुग में मुक्ति का एकमात्र साधन है भगवान की आराधना: आचार्य राकेश दुकलान

 

नजफगढ़ दिल्ली में स्व. सुरेश थपलियाल के वार्षिक पिंडदान के अवसर पर आयोजित श्रीमद भागवत ज्ञान यज्ञ का दूसरा दिन

सिद्धबली न्यूज डेस्क

दिल्ली। दिल्ली के नजफगढ़ में स्वर्गीय सुरेश थपलियाल के वार्षिक पिंडदान के अवसर पर आयोजित श्रीमद भागवत ज्ञान यज्ञ के दूसरे दिन की कथा में व्यास आचार्य राकेश चंद्र दुकलान ने श्रीमद् भागवत की कथा के दौरान कहा के कलयुग में मुक्ति का एकमात्र साधन भगवान की आराधना है। ईश्वर की शरण में जाने से मानव के सभी कष्ट दूर होते हैं। उन्होंने गौ कर्ण और दुंदवी का उदाहरण देते हुए कहा कि अभिमान नाश का कारण बनता है, जबकि सरल और छोटा बनने से सभी बिगड़े कार्य बनते है। उन्होंने कहा के सुख में सोने वाला व्यक्ति इतिहास नही रचता बल्कि दुख का डट कर मुकाबला करने वाला व्यक्ति के सपने पूरे होते हैं।उन्होंने श्रद्धालुवों से श्रीमद् भागवत की कथाओं से सीख लेते हुए सदा जीवन और भक्ति के मार्ग पर चलते हुए अपने जीवन को सार्थक बनाने की अपील की। उन्होंने मनमोहक भजनों की प्रस्तुति देकर बड़ी संख्या में मौजूद श्रद्धालुवों को भक्ति रस का पान कराया। देर शाम तक लोग भागवत कथा में लीन रहे। श्रीमद भागवत और भगवान की आरती के साथ पहले दिन की कथा का समापन किया गया।

कथा से पूर्व सुबह आचार्य प्रकाश कुकरेती के सानिध्य में वेद पाठियों ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ कलश और पितृ पूजन कराया। पूजन में पंडित महावीर प्रसाद, दीपक खुगसाल,  कृष्णा नंद उप्रेती, शर्वेंद्र ध्यानी, दीप चंद डबराल ने अपनी भूमिका निभाई।

इस अवसर पर आयोजक श्रीमती विशेश्वररी देवी थपलियाल, नरेश थपलियाल, उषा थपलियाल, संदीप थपलियाल, कुमकुम थपलियाल, सुदीप थपलियाल, पूजा थपलियाल, इलाचंद कुकरेती, सरोजनी देवी कुकरेती, रमेश चंद्र थलेडी, अनिता थलेड़ी, हेमलता खंतवाल, रमेश शर्मा, हीरामणि शर्मा, मनीराम बिंजोला, रेखा बिनलोला, ओपी रतूड़ी, एसपी रतूड़ी, ध्रुव प्रसाद ध्यानी आदि मौजूद रहे।

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