श्रीराम की निशानी देख भाउक हुईं सीता, हनुमान ने अशोक बाटिका की नष्‍ट  

मातृ शक्ति लोक कला संस्‍कृति समिति की ओर से आयोजित श्री राम लीला का आठवां दिन

सिद्धबली न्यूज डेस्क

कोटद्वार। मातृ शक्ति लोक कला संस्‍कृति समिति की ओर से आयोजित महिला रामलीला का मंचन के आठवें दिन सीता हरण, शबरी भक्ति, राम-सुग्रीव मित्रता, बाली वध, सीताजी की खोज और लंका दहन आदि लीलाओं का महिला कलाकारों द्वारा सजीव मंचन किया गया। लीलाओं में लक्ष्मण द्वारा शूर्पनखा की नाक काट लेने पर शूर्पनखा अपने भाई रावण के दरबार पहुंच कर सीता जी की सुन्दर रूप का बखान करते हुए उनके हरण के लिए उकसाती हैं।  तब रावण अपने मामा मारीच के साथ वन में पहुंचते हैं और मारीच स्वर्ण मृग बन कर सीताजी को रिझाते हैं। सीता की जिद पर श्रीराम मृग पकड़ने उसके पीछे दौड़ते है। मारीच अपने मायाजाल से लक्ष्मण को श्रीराम की मदद को विवश कर देते और सीताजी के आग्रह पर लक्ष्मण रेखा खींच कर श्रीराम की मदद को चल देते हैं। मौका पाकर साधू वेश में रावण सीता का हरण कर लेते है और आकाश मार्ग से लंका की ओर ले चलते हैं। रास्ते में जटायू उन्हें भरसक रोकने का प्रयास करते हैं और रावण के प्रहार से मरनासन्न होकर धरती पर गिर जाते हैं।

उधर, कुटिया में लौटकर सीताजी को न पाकर दोनो भाई उन्हें ढूढ़ने निकलते हैं तब रास्ते में जटायू से उन्हें रावण द्वारा सीताजी के हरण की जानकारी मिलती है। आगे चलकर श्रीरामजी सुग्रीव से मिलते है और बाली-सुग्रीव युद्ध में बाली का वध करके सुग्रीव को राजगद्दी सौंप देते है। सुग्रीव व श्रीराम की मित्रता होती है और पूरी वानर सेना, सुसेन, हनुमान जी व सुग्रीव श्रीराम व लक्ष्मण के साथ सीताजी को लंका से लाने के लिए निकल पड़ते है। हनुमानजी सात समुंदर पार करके लंका पहुंच कर अशोक वाटिका में सीता माता से मिलकर उन्हें श्रीराम का संदेश देते है जिसे पाकर सीताजी भावुक हो उठती है। अंत में हनुमानजी विकराल रूप धारण करके पूरे लंका को तहस-नहस करते हुए आग लगा देते हैं ।

इस मौके पर समिति की अध्‍यक्ष और रामलीला की निर्देशक सरोज रावत, सोनिया रावत, लक्ष्‍मी मलासी, शोभा रावत, गीता काला, लक्ष्‍मी रावत, मालती बिष्‍ट, रुपा रावत, शोभा बिष्‍ट, किरन बिष्‍ट, सुधा रावत, अनुराधा नेगी, सुमित्रा देवी, सेवेत्री रावत, अमिता रावत आदि मौजूद रहे।

 

 

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