देहरादून: उत्तराखंड के खनन निदेशक एसएल पैट्रिक को लेनदेन और प्रलोभन समेत शासकीय गोपनीयता भंग करने के आरोप में निलंबित कर दिया है। उनके निलंबन का कारण भी वही व्यक्ति ओम प्रकाश तिवारी बना, जिस पर पैट्रिक ने बंधक बनाने और 50 लाख रुपये की रंगदारी मांगने का मुकदमा 16 अप्रैल 2024 को दर्ज कराया था। दरअसल, उस व्यक्ति की चैट में निदेशक पैट्रिक के लेनदेन और प्रलोभन की बात सामने आई थी। जिसका कोई खंडन नहीं पाया गया। इसे उत्तराखंड सरकार ने गंभीर प्रकृति के कृत्य के साथ विभाग व सरकार की छवि धूमिल करने की श्रेणी में माना है। इन आरोपों के अतिरिक्त भी एसएल पैट्रिक पर तमाम आरोप प्रकाश में आए हैं।
उत्तराखंड शासन का यह निलंबन आदेश अपर सचिव लक्ष्मण सिंह ने जारी किया है। आदेश के मुताबिक भूतत्व एवं खनिकर्म विभाग में निदेशक के पद पर कार्यरत एसएल पैट्रिक पर एक निजी व्यक्ति (श्री ओम प्रकाश तिवारी) द्वारा शासकीय कार्य हेतु लेन-देन व प्रलोभन के गंभीर आरोप लगाए गए हैं। जिनका पैट्रिक द्वारा चैट के माध्यम से प्रतिउत्तर में किसी प्रकार का कोई खंडन अथवा विरोध किया जाना परिलक्षित नहीं हुआ है। व्हाट्सएप चैट से पैट्रिक की एक निजी व्यक्ति से मिलीभगत्, शासकीय गोपनीयता भंग करने तथा पद का अनावश्यक दुरुपयोग किया जाना स्पष्ट रूप से परिलक्षित हो रहा है।
जबकि एसएल पैट्रिक, जो विभाग के निदेशक के रूप में अपर विभागाध्यक्ष के पदीय कर्तव्यों का निर्वहन कर रहें हैं, से शासन/सरकार की यह अपेक्षा रहती है कि उन्हें सौंपे गए कार्य-दायित्वों का यह गोपनीयता व सत्यनिष्ठा के साथ सम्यक निर्वहन करेंगे और किसी भी स्थिति में अपने अधिकारों व दायित्वों का दुरुपयोग नहीं करेंगे। पैट्रिक से यह भी अपेक्षा थी कि विभाग की नीति/नियमों के विपरीत जाकर किसी निजी व्यक्ति से व्यक्तिगत भेंटवार्ता करने, उसके निजी स्थान पर निदेशक के रूप में जाकर उसे लाभ दिये जाने की नियत से बात करने, किसी निजी व्यक्ति के साथ सरकारी तंत्र को लेकर दुरभि-सधि करने, सांठ-गांठ करने, अपने अधिकारों का दुरुपयोग कर अनुचित लाभ (प्रलोभन एवं लेन-देन करने) पहुंचाए जाने का कृत्य उनके द्वारा नहीं किया जायेगा।
फिर भी पदीय कर्तव्यों-दायित्वों के विपरीत जाकर उक्तानुसार किया गया कृत्य अत्यंत गंभीर प्रकृति का होने के साथ-साथ विभाग व सरकार की छवि धूमिल करने की श्रेणी का है। भूतत्व एवं खनिकर्म निदेशालय स्तर पर ई-निविदा सह ई-नीलामी एंव अन्य महत्वपूर्ण प्रकृति के आम जनमानस से जुड़े कतिपय प्रकरणों में विभागीय निदेशक एसएल पैट्रिक की लचर कार्य प्रणाली, उदासीन रवैया एवं सरकारी कार्यों को ससमय निष्पादित न किए जाने की प्रवृत्ति के कारण ऐसे प्रकरणों में निर्गत किये जाने वाले आशय पत्रों से संबंधित पत्रावलियां काफी समय से निदेशालय स्तर पर ही अनावश्यक रूप से लंबित हैं, जिसके फलस्वरूप स्वीकृत होने वाले खनन पट्टों की स्वीकृति में विलंब होने से अपेक्षित राजस्व प्राप्ति किया जाना संभव नहीं हो पाया है।
राजस्व प्राप्ति को बढ़ाए जाने के स्थान पर एसएल पैट्रिक द्वारा अपर विभागाध्यक्ष के रूप में दिए गए दायित्वों का निर्वहन सही प्रकार से न किए जाने का गंभीर कृत्य परिलक्षित हुआ है। एसएल पैट्रिक द्वारा अपने पदीय कर्तव्यों एवं अधिकारों का दुरुपयोग कर विभागीय शासकीय वाहनों को अपने निजी कार्यों को संपादित करने व पारिवारिक सदस्यों के उपयोग हेतु प्रयुक्त किए जाने के गंभीर कृत्य परिलक्षित हुए हैं। इसके अतिरिक्त निदेशालय में तैनात चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों (सरकारी व आउटसोर्सिंग के माध्यम से नियुक्त) को भी पैट्रिक द्वारा अपने घरेलू कार्यों में लगाए जाने के तध्य प्रकाश में आए हैं, जो शासकीय कृत्यों व पद के दुरुपयोग की श्रेणी में आते हैं।
उपरोक्त गंभीर आरोपों के सिद्ध होने की स्थिति में पैट्रिक के विरुद्ध उत्तराखंड सरकारी सेवक (अनुशासन एवं अपील) नियमावली 2003 समय-समय पर यथासंशोधित के सुसंगत प्राविधानों के अंतर्गत दीर्घ शास्ति प्रदान की जा सकती है। निलंबन की अवधि में एसएलपैट्रिक को वित्तीय संग्रह खंड -2, भाग 2 से 4 के मूल नियम 53 के प्राविधानों के अनुसार जीवन निर्वाह भत्ते की धनराशि अर्द्धवेतन पर देय अवकाश वेतन की राशि के बराबर देय होगी तथा उन्हें जीवन निर्वाह भत्ते की धनराशि पर महंगाई भत्ता, यदि ऐसे अवकाश वेतन पर देय है, भी अनुमन्य होगा, किंतु ऐसे अधिकारी को जीवन निर्वाह के साथ कोई महंगाई भत्ता देय नहीं होगा, जिन्हे निलंबन से पूर्व प्राप्त वेतन के साथ महंगाई भत्ता अथवा महंगाई भत्ते का उपांतिक समायोजन प्राप्त नहीं था। निलंबन की अवधि में एसएल पैट्रिक सचिव खनन्, उत्तराखंड शासन के कार्यालय से संबद्ध रहेंगे।